WHO के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने भी बता दिया है कि ओमिक्रॉन वाला कोरोना कितना ख़तरनाक है!

 

ओमिक्रॉन एक कॉमन कोल्ड नहीं है, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है. ऐसा सिस्टम बनाना बेहद जरूरी है, जिससे बड़ी संख्या में टेस्ट हो सकें, लोगों को सलाह दी जा सके और बड़ी संख्या में मरीजों की निगरानी की जा सके, क्योंकि (कोविड के केसों) में उछाल अचानक आ सकता है और यह बहुत बड़ा हो सकता है.
सौम्या स्वामीनाथन WHO की चीफ साइंटिस्ट हैं. उन्होंने कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर यह बात कही है. सौम्या स्वामीनाथन ने यह बात कहते हुए WHO की महामारी विशेषज्ञ मारिया वान केरखोव के एक ट्वीट को रीट्वीट किया है. मारिया ने अपने ट्वीट में ओमिक्रॉन के खतरे को कम आंके जाने से लोगों को सचेत किया है. वे लिखती हैं,

कुछ रिपोर्ट्स में दिखाया गया है कि डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है. ओमिक्रॉन (और डेल्टा) से अभी भी बहुत से लोग संक्रमित हैं, अस्पताल में भर्ती हैं और मौतें भी हो रही हैं. हम संक्रमण को रोक सकते हैं और जान बचा सकते हैं.

 

WHO ने ओमिक्रॉन को ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ की श्रेणी में डाल दिया है. आइये हम आपको बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन कितना खतरनाक है. अभी तक सामने आई स्टडीज में इसे लेकर क्या पता लगा है? और कैसे इसके चलते आई तीसरी लहर हालात खराब कर सकती है?

कितना खतरनाक ओमिक्रॉन वेरिएंट?

ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर WHO का कहना है कि यह कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से 6 गुना ज्यादा ताकतवर है. यह पिछले सभी वेरिएंट से ज्यादा तेजी से फैलता है. वैक्सीनेशन के बाद भी ओमिक्रॉन का संक्रमण हो सकता है, साथ ही इसमें नेचुरल इंफेक्शन से होने वाले इम्यून रिस्पॉन्स को भी बेअसर करने की क्षमता है.

 

डेल्टा के मुकाबले कितना घातक?

ख़बरों के मुताबिक़, ओमिक्रॉन पिछले वेरिएंट्स के मुकाबले तेजी से फैल जरूर रहा है, लेकिन फ़िलहाल ये डेल्टा वैरिएंट की तुलना में माइल्ड है. इसमें संक्रमित लोगों के अस्पताल पहुंचने और हालत बिगड़ने की आशंका पिछले वेरिएंट से कम है. बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीका में एक स्टडी में पता लगा है कि ओमिक्रॉन के चलते आई कोरोना की तीसरी लहर में लोगों को अस्पताल में इलाज की आवश्यकता होने की संभावना पिछली लहर की तुलना में 70 से 80 प्रतिशत तक कम है. ओमिक्रॉन में डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले अस्पताल में इलाज की आवश्यकता वाले मरीजों की संख्या में लगभग दो-तिहाई की कमी आई है.

फिर तेजी से क्यों फैल रहा ओमिक्रॉन?

द गार्डियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ओमिक्रॉन लोगों के फेफड़ों को उतना नुकसान   नहीं पहुंचा पा रहा है, जितना कि डेल्टा और कोविड के बाकी वैरिएंट पहुंचाते हैं. ओमिक्रॉन वैरिएंट में फेफड़ों की तुलना में गले को संक्रमित करने की अधिक संभावना है. वैज्ञानिकों   का मानना ​​​​है कि इससे यह समझा सकता है कि ओमिक्रॉन बाकी वेरिएंट की तुलना में     अधिक संक्रामक लेकिन कम खतरनाक क्यों है.

इसे ऐसे समझिए कि अगर वायरस में गले को संक्रमित करने की क्षमता ज्यादा है, तो वह तेजी से फैलेगा, लेकिन ऐसे में संक्रमित व्यक्ति की हालत बिगड़ने की आशंका कम ही है. वहीं अगर वायरस में फेफड़ों को संक्रमित करने की क्षमता ज्यादा है तो वह अधिक खतरनाक होगा लेकिन कम फैलने वाला होगा. इससे समझा जा सकता है कि ओमिक्रॉन कम खतरनाक होने के बाद भी तेजी से क्यों फैल रहा है. ध्यान रहे कि ओमिक्रॉन पर आ रही तमाम जानकारियाँ अभी बहुत नई हैं, और उससे संबंधित डेटा का विशेषज्ञों द्वारा रिव्यू अभी तक नहीं किया गया है. शायद कुछ जानकारियां सामने आगे आएं.

ओमिक्रॉन के लक्षण क्या हैं?

ओमिक्रॉन के लक्षणों के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर लक्षणों पर ध्यान ना दिया गया तो केसेज और बढ़ने की संभावना है. लक्षण दिखने पर खुद को तुरंत आइसोलेट कर लें. और कोरोना की जांच करवाएं. आजतक की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर धीरेन गुप्ता ने बताया,

ओमिक्रॉन पुराने वेरिएंट की तुलना में ऊपरी श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, इसीलिए ओमिक्रॉन में खांसी, जुकाम जैसे लक्षण होते हैं. ओमिक्रॉन के ज्यादातर मरीजों में एक खास लक्षण जरूर पाया जा रहा है और वो है भूख ना लगना.

UK के ‘ZOE COVID Study’ ऐप के अनुसार इस वेरिएंट के कुछ लक्षण डेल्टा वेरिएंट से मिलते-जुलते हो सकते हैं. वहीं इस बार संक्रमण में कुछ अलग लक्षण भी पाए गए हैं. जैसे हल्का बुखार, गले में खराश, नाक बहना, छींक-खांसी आना, शरीर में बहुत दर्द और थकान, रात में बहुत पसीना आना.

ओमिक्रॉन वेरिएंट पर वैक्सीन कितनी असरदार?

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्स्पर्ट्स ने ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामने वैक्सीन का प्रभाव कम होने को लेकर चेतावनी दी है. एक्सपर्टस का कहना है कि ओमिक्रॉन में जो म्युटेशन हुआ है वह इसे वैक्सीन की इम्युनिटी को मात देने में सक्षम बनाता देता है. इसीलिए वैक्सीनेशन के बाद भी ओमिक्रॉन का संक्रमण हो सकता है. लेकिन अभी तक की स्टडीज में पता लगा है कि वैक्सीन ने ओमिक्रॉन संक्रमण को गंभीर होने से रोकने में कारगर भूमिका जरूर निभाई है. एक्सपर्टस एक और बात भी बताते हैं, इनके मुताबिक एक अच्छा संकेत यह भी है कि ओमिक्रॉन संक्रमित के शरीर में बनी एंटीबॉडी उसे डेल्टा और बाकी वेरिएंट के खतरे से बचाती हैं.

लेकिन बात ये भी है कि अगर वायरस जितना फैलेगा, उसके फिर से म्यूटेट कर जाने के उतने ख़तरे बने रहेंगे. ये जीव विज्ञान का सिद्धांत है. ऐसे में किंचित कम ख़तरनाक फ़ॉर्म से किसी ज़्यादा ख़तरनाक फ़ॉर्म में वायरस बदले, संक्रमण की चेन टूटे, इसके लिए हमें और हमारी सरकारों को साझा प्रयास करने होंगे.

सरकारों को स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करनी चाहिए, टेस्टिंग और मॉनीटरिंग ज्यादा होनी चाहिए क्योंकि कोरोना के केसों में अचानक भारी उछाल आ सकता है. और जनता को अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी. यह बात सुनना तब और जरूरी हो जाता है, जब 5 राज्यों में चुनावों का बिगुल बज चुका हो, और तमाम नेता लाखों की भीड़ को संबोधित कर रहे हों.


 

 

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